होली

ये त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. ये हिन्दुओं का बहुत बड़ा त्यौहार है. इस दिन सभी स्त्री-पुरुष एवं बच्चे होली का पूजन करते हैं. पूजन करने के बाद होलिका को जलाया जाता है. इस पर्व पर व्रत भी करना चाहिए. होली के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पहले ‘हनुमान जी’, ‘भैरव बाबा जी’ आदि देवताओं की पूजा करनी चाहिए. फिर उनपर जल, रोली, मौली, चावल, फूल, प्रसाद, गुलाल, चन्दन, नारियल आदि चढ़ाएँ. दीपक से आरती करके दंडवत करें. फिर सबके रोली से तिलक लगाएँ और जिन देवताओं को आप मानते हों उनकी पूजा करें. फिर थोड़े से तेल को सब बच्चों का हाथ लगाकर किसी चौराहे पर ‘भैरव बाबा जी’ के नाम से एक ईंट पर चढ़ा दें. यदि कोई लड़का पैदा हुऐ का या लड़की के विवाह होने का उज्मन करता हो तो वो होली के दिन उज्मन करे. उज्मन से एक थाली में 13 जगह 4-4 पूरी और शीरा रखे, उनपर अपनी श्रध्दा अनुसार रूपये और कपडे (साड़ी आदि) तथा 13 गोबर की सुपारी की माला रखे. फिर उनपर हाथ फेरकर अपनी सासुजी को पाँव लगकर दे दें तथा सुपारी की माला अपने घर में ही टांग दें. इस दिन अच्छे-अच्छे भोजन, मिठाई, नमकीन आदि पकवान बनाए...