भारतीय महिलाओं की बदलती स्थिति

मैं अपने इस ब्लॉग के द्वारा भारतीय महिलाओं की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की दशा पर प्रकाश डालना अपना परम कर्त्तव्य समझता हूँ. स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व तथा काफी वर्षों तक भारतीय समाज में विशेषकर भारतीय गाँवों में खास ध्यान नहीं दिया जाता था. शहरों में भी पढ़े-लिखे परिवारों को छोड़कर उनके हालत की तरफ विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था. महिलओं को केवल घर की देखभाल के ही योग्य समझा जाता था. अधिकतर परिवारों में केवल बालकों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूलों में भेजा जाता था. लेकिन धीर-धीर यहाँ के नागरिकों को उनकी दशा सुधारने का ख्याल आया तथा उन्होंने समझा कि घर की लड़कियों को भी शिक्षा प्राप्त करने के सुव-अवसर प्रदान करने चाहिए. उसके बाद घर की लड़कियों को भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेजना प्रारंभ कर दिया. आज जो बालिकाएं पढाई-लिखाई में खूब मन लगा रही हैं वे इसी सोच का परिणाम है. कुछ वर्ष के अंतराल के बाद पढाई पूरी करने के बाद घर के बाहर जाकर नौकरी करना प्रारंभ किया तथा अपने गृह-जनपद के बाहर जाना स्वीकार किया. सर्वप्रथम पढ़ी-लिखी महिलाओं ने केवल अध्यापिका का पद स्वीकार किया....