भारत देश के उच्चतम न्यायालय द्वारा सराहनीय तथा त्वरित निर्णय

Courtesy: WikiMedia मैं अपने उच्चतम न्यायलय को बधाई दिए बिना नहीं रह सकता क्योंकि उसने 11 नवम्बर 2020 को रिपब्लिक भारत के सर्वे-सर्वा अर्नब गोस्वामी को जमानत देने में जो त्वरित तथा इतिहासिक निर्णय दिया है वो देश के उच्च न्यायालयों के लिए उनकी लचर न्याय प्रणाली के लिए एक नज़ीर साबित होगी तथा राज्य के भ्रष्ट पुलिस तंत्र के मुहं पर एक तमाचा होगी. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ती चंद्रचूर्ण तथा न्यायमूर्ती इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने जो साहसिक निर्णय दिया है वो शायद देश का ऐसा फैसला होगा जिसके लिए इस खंडपीठ की जितनी भी सराहना की जाये वो कम है. हमारे पूरे देश ने 3-4 महीनो के भीतर महाराष्ट्र सरकार की 3 दलों की अगाडी सरकार के द्वारा किया गया ऐसा कार्य देखा है जिसकी मिसाल देश में कहीं नहीं मिलती. उसने देश के प्रख्यात पत्रकार की खोज-परख समाचार प्रसारित करने से खबराकर सुशांत सिंह राजपूत, दिशा सालियन की हत्याओं को आत्महत्या बताकर तथा पालघर हत्याकांड में दो साधुओं की हत्याओं को मोब-लिंचिंग बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया. महाराष्ट्र सरकार ने तथा उसके पुलिस कमिश्नर ने अर्नब गोस्वामी के पूरे तंत्र को इतना परे...