सरकारी कर्मचारियों का ध्यान रखने वाला विभाग
भारत में रक्षा मंत्रालय ही वास्तव में अपने
कर्मचारियों के हितों के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है. इसमें वो अपने कर्मचारियों यानी
थलसेना, वायुसेना और जलसेना के हितों के लिए सदैव तत्पर रहता है. वे चाहे सेवा में
हो या रिटायर हो चुके हों. अन्य केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों की तरह वे 60 बरस की
उम्र होने के बाद रिटायर नहीं किये जाते बल्कि रैंक के मुताबिक वे रिटायर कर दिए
जाते हैं. यदि कोई सैनिक प्रमोशन नही पाता तो बहुत शीघ्र रिटायर कर दिया जाता है. सबसे
कम नॉन-कमीशंड अधिकारी के नीचे के पद पर सबसे कम नौकरी करनी पड़ती है.
पिछले दिनों मैंने समाचार पात्र में पढ़ा कि
वर्तमान केंद्र सरकार एक कल्याणकारी निर्णय लेने की बात सोच रही है. इसके अनुसार सैनिकों
को भी 60 बरस की उम्र तक सेवा करने का मौका दिया जायेगा. वर्तमान में सैनिकों के
जल्दी रिटायर होने पर अन्य कोई सरकारी नौकरी तलाश करनी पड़ती है. सैनिकों को बैंकों
आदि में या राज्य सरकार या केंद्र सरकार के कार्यालयों में नौकरी लेनी पड़ती है.
रक्षा मंत्रालय ने कार्यरत सैनिकों तथा रिटायर सैनिकों के कल्याण के लिए हर राज्य
में ‘सैनिक कल्याण बोर्ड’ का गठन कर रखा है. इसके अलावा सैनिकों तथा उनके परिवारों
को राशन, चिकित्सा आदि की सुविधाएँ दे रखीं है जो उन्हें जीवन-पर्यन्त मिलती रहती हैं.
मेरे विचार से केंद्र सरकार का ये विभाग अपने कर्मचारियों के हितों का सदैव ध्यान
रखता है. इतना अन्य कोई विभाग अपने कर्मचारियों के हितों का ध्यान नहीं रखता.
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