घरेलू हिंसा के तमाम मुक़दमे फर्जी भी होते हैं
498-A के घरेलू हिंसा के तमाम मुकदमें फर्जी भी होते हैं. कन्या के मायके वाले जब वर पक्ष को परेशान करना चाहते हैं तब वो इस धारा का सहारा लेकर कन्या के ससुराल वालों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दायर कर उनको जेल भिजवा देते हैं तथा उन्हें जमानत भी नहीं मिलती. गहन जांच के पश्चात पता चलता है कि वर पक्ष वालों की बेजा दहेज़ मांग से परेशान होकर उनसे हिसाब चुकता करना चाहते है इसलिए ऐसा अजीब काम किया.
अदालतों
में जो तरह-तरह के मुकदमें विचाराधीन हैं सरकार को चाहिए कि दूसरी जांच एजेंसी
द्वरा परीक्षण कर उनका निपटारा किया जाये. दोनों पक्ष के वकील यही चाहते हैं कि ऐसे मुकदमों का जल्दी निपटारा
न हो तथा उन्हें अपनी फीस लगातार मिलती रहे. यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हम
इस तरह के कानूनों को समाप्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते. मैं चाहता हूँ कि
देश तथा प्रदेश की सरकारें इस लाइलाज बीमारी का शीघ्र से शीघ्र समाधान ढूँढने का
प्रयत्न करें.
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