कशमकश में हैं भगवान्


 

आम आदमी अपने जीवन-काल में कई ऐसे हालातों का सामना करता है जब वो कशमकश में होता है कि वो किस रास्ते को अपनाये या किसकी बात माने या किसकी न माने. सर्वशक्तिमान ईश्वर भी कई हालातों पर कशमकश में होता है कि किस फरियादी की फ़रियाद सुने या न सुने.

यहाँ में दो ऐसे हालातों का जिक्र आपके सामने करना चाहता हूँ जहाँ भगवान् वाकई में कशमकश में होता है. पहला जब एक किसान भगवान् से मौसम-बे-मौसम अधिक वर्षा की प्रार्थना करता है. ठीक इसके विपरीत कुम्हार जो मिटटी के बर्तन बनाकर फिर आवें में पकाकर उनकी बिक्री से अपना तथा अपने परिवार का पेट पालता है. वो भगवान् से अक्सर प्रार्थना करता है कि बारिश कम से कम हो. हमेशा तेज़ धूप हो तथा आवें में पकाने के पहले उसके द्वारा बनाये गए बर्तन ठीक से सूख जाएँ.

अब बताइए भगवान् किसकी प्रार्थना पर ध्यान दें. अगर वो बारिश कम करता है तो किसान का नुकसान होता है यानी, फसल के लिए कम वर्षा हानिकारक होती है. अगर अधिक पानी बरसाता है तो कुम्हार के बर्तन ठीक से सूख नहीं पाते. दूसरी स्तिथि भगवान् के सामने कशमकश में होने का तब आती है जब किसी परिवार में उनका कोई सगा-सम्बन्धी बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होता है. मरीज़ के घरवाले सदैव ये प्रार्थना करते हैं कि भगवान् मेरा सगा-सम्बन्धी ठीक होकर शीघ्र घर आ जाये. उधर लाश गाड़ी वाले ईश्वर से अक्सर मनाया करते हैं कि भगवान् उन्हें खूब ऐसी लाशें मिलें जिनसे वे किराया वसूलकर अपने परिवार का ठीक से पालन-पोषण करें. अब बताइए ईश्वर क्या करे.

मैं आप लोगों के सामने ये समस्या रख रहा हूँ अगर आपके पास इसका कोई समाधान हो तो आप मुझे सुझा सकते हैं.

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