इनकम टैक्स बचाने का नायाब तरीका

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क्या हममे से किसी ने ठंडे दिमाग से इस बात पर विचार किया है कि देश के कुछ पूंजीपति लोग बड़े-बड़े मंदिर तथा धर्मशालाएं क्यों बनवाते हैं? क्यों गर्मियों के दिनों में प्याऊ लगवाते हैं? किसी ने इस राज से कभी पर्दा उठाना उचित नहीं समझा? अक्सर लोग सोचते हैं कि सेठ जी बड़े परोपकारी तथा धार्मिक विचारों के हैं तथा इनकी धर्म तथा ईश्वर में गहरी आस्था है तथा धनवान होने के कारण इनके पास धन की कोई कमी नहीं है इसलिए यह इन नेक कामों पर अपनी कमाई का कुछ हिस्सा ख़ुशी से खर्च करते हैं.

मेरे विचार से जनता का यह सोचना कतई ठीक नहीं है. अगर हम गहराई से इस बात पर विचार करें तो पायेंगें कि इन धन्ना-सेठों का धर्मार्थ ट्रस्ट बनवाकर इन पवित्र कामों के लिए व्यय करना दो कारणों से ही काम में लाया जाता है तथा उन्हें ऐसे कामों को करना फायदे का धंधा ही लगता है तथा उनका अपना इनकम टैक्स बचता है तथा इससे समाज में उनके यश की पताका में चार-चाँद लगते हैं. देश की भोलीभाली जनता इन्हें सबसे बड़ा परोपकारी समझती है तथा समाज के सभी छोटे-बड़ों के दिलों में इनकी इज्ज़त अफजाई होती है तथा बड़े-बड़े मंदिरों में वे सभी भगवत दर्शन का लाभ उठाते हैं. उन बेचारों को यह नहीं मालूम कि यह करके धनवान व्यक्ति लाखों रूपये की आमदनी करते हैं तथा बिना बात के भगवान् भक्त कहलाते हैं.

अंत में मैं अपने सभी पाठकों से यह कहना अपना फ़र्ज़ समझता हूँ कि कुछ धनवानों के इन आडम्बरों के चक्करों में न पड़ें तथा इनके धोखे को पहचाने तथा अपनी केंद्र सरकार से भी आग्रह करना चाहता हूँ कि देश के आयकर कानून में छूट के प्रावधानों पर पुनर्विचार करें तथा छूट देने के लिए इस पक्ष पर उचित विचार करें.

 

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