भारत देश का एक ऐसा प्रदेश है जहाँ के मुद्दे भी रेलगाड़ी में सफ़र करते हैं
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मैं आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताना चाहता हूँ जो सरकारी नौकरी
के दौरान कोलकाता, पश्चिम बंगाल में गठित हुई. यह बात 1987 की है. मैं अपने
कार्यालय धर्मतल्ले में आने के लिए बैरकपुर से ट्रेन द्वारा स्यालदाह स्टेशन आ रहा
था. उस ज़माने में भी ट्रेनों में काफी भीड़ हुआ करती थी. अचानक मैंने देखा कि किसी
भद्र पुरुष की मृत्यु हो गयी थी तथा उसके मृत शरीर को बांस की तख्ती में बांधकर
किसी तरह डिब्बे में खड़ा कर दिया गया. यह मेरे जीवन का एक विचित्र अनुभव था
क्योंकि इसके पहले मैंने कभी भी किसी आदमी के मृत शरीर को ट्रेन में जाते नहीं
देखा था.
इस पर मैंने अपने सहयात्रियों से पुछा जो मुख्यतया बंगाली थे कि यहाँ
ऐसा क्यों हो रहा है. उन लोगों ने बताया कि हम लोग बहुत गरीब हैं तथा हमारा घर एक
गाँव में है वहां से किसी तरह इन्हें हम कोलकाता अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे
हैं. यह हमारे जीवन का एक अनोखा अनुभव था जिसे मैं आप सभी से साझा करना चाहता हूँ.
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