वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा पहली बार किसानों के हितों का ध्यान रखने वाला फैसला

 

मैं वर्तमान मोदी सरकार को इस बात के लिए ह्रदय से बधाई देना चाहता हूँ कि उसने अपनी सही सोच को उजागर करने वाला ऐसा फैसला किया है जिसे स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात किसी भूतपूर्व सरकार ने नहीं किया. उसने ऐसा फैसला करके ये साबित कर दिया है कि वो देश के सभी किसानों की आय वास्तव में दुगना करना चाहती है.

जमाखोरी के विरुद्ध 1955 में बना आवश्यक वस्तु अधिनियम उस समय का है जब देश में खाद्द्यान के लाले पड़े हुए थे. वो समय याद करिये जब अन्न भण्डारण की जगह नहीं रह गई थी और वो खुले आकाश के नीचे सड़ रहा था. तब सर्वोच्च न्यायालय ने ये सुझाव दिया था कि जब सरकार अनाज रख नहीं पा रही है तो देश के गरीबों को मुफ्त क्यों नहीं दे देती? जो अनुबंध खेती का विरोध कर रहे हैं उन्हें बताना चाहिए कि आखिर बटाई पर खेती क्या है? वो बिना बिक्री व्यवस्थित कानूनी आधार पर की जा रही है. अनुबंध खेती का विरोध हास्याद्पद नहीं है. जो कह रहे हैं कि ये क्या कानून बना दिया वे असलियत में घातकवाद कर रहे हैं. किसी भी वस्तु का मूल्य उसकी गुणवत्ता पर ही तय किया जा सकता है. यदि छोटे किसानों की फसल पर बारिश पड़ने के कारण उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो जाये और MSP को कानूनी दर्जा लेने की दिक्कत के बिना उसे खरीदने से इनकार कर दिया जाये तो उसकी पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी क्योंकि वो कानूनन MSP से कम पर खरीदी नहीं जा सकती.

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों से अधिक नेता नज़र आ रहे हैं. कांग्रेस ने पंजाब में सरकार से फल और सब्जी पर MSP समाप्त कर रखा है.

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