हमारे देश के लिए राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा प्रणाली (NIOS) एक वरदान


 

हमारी केंद्र सरकार द्वारा पिछले विगत वर्षों से लागू की गयी हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के लिए एक ऐसा विकल्प दिया है जिससे अधिक उम्र के लोग तथा कम से कम 14 वर्ष के ऊपर के विध्यार्थी घर बैठे दूसरा काम करते हुए पास कर सकते हैं तथा उसके बाद इतना शिक्षित हो सकते हैं कि उन्हें ग्रुप-C की सरकारी नौकरी मिल सके. वे राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार के कार्यालयों में नौकरी प्राप्त करने के अधिकारी होंगे. कोई भी व्यक्ति जो मुक्त शिक्षा प्रणाली द्वारा पत्राचार के माध्यम से घर बैठे इन परीक्षाओं को पास करेगा वो देश में राज्य सरकारों के शिक्षा बोर्डों द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं के बराबर ही होगा. सरकारी नौकरी मिलने में उसे उस छात्र तथा औपचारिक शिक्षा प्राप्त छात्र के बीच कोई अंतर नहीं होगा यानी उसे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बराबर ही माना जायेगा.

राज्य के शिक्षा बोर्डों की तरह यहाँ एक छात्र को 6 विषयों के स्थान पर मात्र 5 विषयों में परीक्षा देनी होगी. यानी उसे एक विषय में कम परीक्षा देनी होगी. वर्तमान आदेशों के मुताबिक एक छात्र को वर्ग– अ से 2 भाषाएँ तथा वर्ग– ब से 3 विषय लेने होंगे.

मुक्त शिक्षा प्रणाली में वर्तमान शिक्षा बोर्डों द्वारा कला, विज्ञान, वाणिज्य आदि वर्गों को एक में ही मिला दिया गया है तथा न केवल महिलाओं को बल्कि पुरुष वर्ग को भी गृह विज्ञान विषय चुनने का विकल्प दिया गया है. सबसे अधिक लाभ उन लोगों को होगा जो गणित की पढ़ाई से घबराते हैं तथा अपने को इसमें कमतर समझते हैं यानी बिना गणित के भी वे हाई स्कूल की परीक्षा पास कर सकते हैं. यहाँ पर मैं लोगों की जानकारी के लिए बताना चाहता हूँ कि ऐसा प्रावधान रेगुलर पढाई करने वालों के लिए उपलब्ध नहीं है.

इस शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इसमें एक नया विषय जो जोड़ा गया है शायद हमारे देश के किसी भी राज्य के शिक्षा बोर्ड में उपलब्ध नहीं है. हाई स्कूल की परीक्षा में बैठने वाले लोगों के लिए भारतीय संस्कृति तथा विरासत को जोड़ा गया है. जो विध्यार्थी इस विषय का चुनाव करेंगें उन्हें अपने देश की सभ्यता तथा विरासत के बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकेगी. इस जानकारी के बाद वे लोग अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में लाभ उठा सकेंगें.


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