नारी का दुखी जीवन- दोषी कौन ?

 


शादी के बाद एक भारतीय नारी का जीवन नारकीय हो जाता है. ये अक्सर कई मामलों में देखा गया है. लड़की शादी के पहले अपने माँ-बाप के लाड प्यार में अपना बचपन बिताती है. वे उसके अपने सगे होते हैं और उसका जान से ज्यादा ख्याल भी रखते हैं. आजकल देखा गया है कि शादी के बाद अधिकतर मामले में उसके मायके वालों से अक्सर अधिक दहेज़ की मांग करते रहते हैं. जब उनकी अधिक दहेज़ की मांग उसके मायके वालो द्वारा पूरी करने में अपनी असमर्थता दर्शाते हैं तो वो शादीशुदा महिलायों को हर तरह से प्रताड़ित करते हैं. कई दिनों तक भूखे पेट रखते है.

एक मामले में यहाँ तक देखा गया कि ससुराल वाले उसे कुत्ते की जंजीर में बांधकर तरह-तरह की यातनाएं देते हैं. हमारे देश के महिला आयोग ने नारी के दुखी जीवन से छुटकारा दिलाने में काफी काम किया है लेकिन यह ऊंट के मुहं में जीरा जैसा है. इतने विशाल देश में हम सभी नारियों को उनके दुखी जीवन से छुटकारा नहीं दिला पाए हैं. हमारी केंद्रीय सरकार द्वारा विभिन्न प्रदेशों की नारियों को उनके दुखों से निजात दिलाने की ओर और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है.

अक्सर देखा गया है कि जब एक पत्नी को उसकी सास, ननद तथा देवरों द्वारा प्रतिदिन प्रताड़ना दी जाती है तो उस महिला का पति या तो मूकदर्शी बना रहता है या अपने ही घरवालों का साथ देता है. कितनी ही महिलायें इसी दुखी जीवन के कारण असमय काल के गाल में समा चुकी हैं.

अगर आजकल की साँसें अपनी बहुओं को अपनी सगी बेटियों जैसा प्यार करने लगे तथा आधुनिक बहुएं भी अपनी सासु-माँ को अपनी सगी माँ मानने तथा प्यार करने लगें तो मुझे विश्वास है कि इस विकराल समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. पतियों को भी अधिक जागरूक होकर अपनी पत्नी पर होने वाले अत्याचारों से उसे बचाना चाहिए नाकि सदैव अपने माँ-बाप तथा अन्य परिजनों का गलत साथ ही देना चाहिए.

Comments

Popular posts from this blog

Teachings of “Swami Vivekananda”

NIOS: हाई स्कूल परीक्षा में गणित का अनिवार्य न होना

960 Foreigners Registered In Black-List