मर्दानगी की पहचान: मूंछें

 



पुराने ज़माने में एक इंसान की मूंछें कभी मर्दानगी की पहचान हुआ करती थीं. अधिकतर पुरुष बड़ी-बड़ी मूंछें रखते थे. मूंछें उनके व्यक्तित्व को निखारने में एक अहम् किरदार अदा करती थीं. देश के राजा महाराजा भी तरह-तरह की मूंछें रखते थे. मनुष्य के व्यक्तित्व की यह एक ख़ास पहचान होती थीं.

आजकल वैसे तो ज्यादातर पुरुषों के चेहरों पे मूंछें दाढ़ियों के साथ ही दिखती है लेकिन कुछ समय पहले तक मूंछें नदारत हो गयीं थीं. अक्सर सफाचट चेहरा ही देखने को मिलता है. आज की युवा पीढ़ी चेहरे पर मूंछें रखना बिलकुल पसंद नहीं करती या करती भी है तो दाढ़ी के साथ ही. नवयुवतियां भी अक्सर सफाचट चेहरे वाले युवाओं को ही ज्यादा तरजीह देती हैं. अगर भूले से भी कोई मूंछों वाला व्यक्ति दिखाई देता है तो लगता है कि सूखे वीराने में बहार आई है. पिछले दिनों टी.वी के एक प्रोग्राम में दिखाई पड़ा जिसमें एक व्यक्ति की इतनी बड़ी मूंछें थी कि उनसे वो एक ट्रक खींच रहा था. ऐसे उदाहरण समाज में बहुत कम ही मिलते हैं.

कुछ मूंछें रखने वाले आपको ऐसे व्यक्ति भी मिल जायेंगें जो घर के अन्दर अपनी पत्नी के सामने मूंछें नीचे रखते हैं लेकिन बाहर आकर मूंछें ऊपर रखकर बड़ी-बड़ी डींगें मारते हैं. वे अपनी पत्नियों से इतना डरते हैं कि घर में बिल्ली बने रहते हैं.


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